राज्य
सीता की खोज में निकले राम भक्त हनुमान ने जलाई सोने की लंका
15 May 2023

हरदोई ग्राम पंचायत कमरौली प्रधान हर्षित द्विवेदी ज्ञानू द्वारा आयोजित नौ दिवसीय श्री शतचंडी महायज्ञ एवं भव्य श्री रामकथा में वृन्दावन धाम से पधारे आचार्य श्री रामजी तिवारी जी महाराज ने कथा के नवें एवं अन्तिम दिवस मां सीता की खोज,लंका दहन,रावण वध एवं श्री राम जी के राज्याभिषेक का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीराम लक्ष्मण व हनुमान जी के साथ वानरों की सेना सीता की खोज में निकली। लंका की अशोक वाटिका में हनुमान जी को मां सीता मिली। इसी दौरान राक्षसों ने हनुमान जी को पकड़ कर रावण के पास ले गए। रावण के आदेश पर राक्षसों ने हनुमान की पूछ में आग लगा दी। तब हनुमान ने लंका का दहन किया। बालि के मरने पर सुग्रीव किष्किन्धा के राजा बने और अंगद को युवराज पद मिला। इसके बाद सुग्रीव ने असंख्य वानरों को लेकर भगवान राम मां सीता की खोज में निकल पड़े। हनुमान जी ने सीता जी का पता लगाया। पहले तो हनुमान जी को देखकर सीता डर गई। उन्होंने सोचा की यह कोई राक्षस है लेकिन जब हनुमान जी ने सीता मां को अशोक वाटिका में भगवान श्रीराम की मुद्रिका देने के बाद अशोक वाटिका को उजाड़ने लगे तब राक्षसों ने उन्हें रोका तो उन्हें कईयों को मारकर मूर्छित कर दिया। जिसके बाद रावण का पुत्र अक्षय कुमार हनुमान जी से युद्ध करने पहुंचा। हनुमान जी ने उसका वध कर दिया। जिसके बाद इंद्रजीत अशोक वाटिका पहुंचकर हनुमान जी को नागपाश में बांध कर रावण के दरबार में लाया। जहां रावण ने हनुमान जी के पूंछ में आग लगा दी जिसके बाद हनुमान जी की पूंछ में लगी आग से पूरी लंका जला दिया।

महाराज जी ने प्रसंग को आगे सुनाते हुए बताया कि कम्भकर्ण वध के पश्चात रावण पूरी तरह से निराश हो गया था। उसके सभी महारथी मारे जा चुके थे। अन्त में रावण स्वयं राम से लड़ने हेतु युद्ध के मैदान में पहुंचा। राम और रावण के मध्य भयंकर युद्ध हुआ। राम ने अनेकों प्रकार से रावण को मारने का प्रयास किया किन्तु रावण मर नहीं रहा था। राम ने विभीषण की ओर देखा तो रावण ने विभीषण को मारने हेतु तीर चला दिया। राम ने तीर का प्रहार अपनी छाती पर ले लिया। इसे देखकर विभीषण प्रभावित हुए और उन्होंने रावण की मृत्यु का राज राम को बता दिया। इसके बाद राम ने 31 तीर एक साथ छोड़े जिससे रावण के दस शीश, बीस भुजायें एक साथ कटने के साथ ही नाभि का अमृत कुंड भी सूख गया। रावण के मरते ही रामादल में खुशी की लहर दौड़ गई। सीता जी को ससम्मान लंका से वापस लाकर श्रीराम,लक्ष्मण एवं सीता सहित 14 वर्षो की अवधि पूर्ण होते ही अयोध्या पहुंचे। भरत तथा समस्त परिजनों, गुरुजनों तथा अयोध्या वासियों से एक साथ गले मिले। राम का राजतिलक किया गया। राज्याभिषेक का भव्य समारोह हुआ जिस प्रकार अयोध्या में दिया जलाए गए थे ठीक उसी प्रकार आज कथा पंडाल में हजारों की संख्या में घी के दिए जलाकर राम का राज्याभिषेक किया गया। कन्याभोज एवं विशाल भंडारे के आयोजन के साथ नौ दिवसीय श्री शतचंडी महायज्ञ एवं श्री रामकथा का समापन हुआ। इस मौके पर कथा परीक्षित कौशल किशोर द्विवेदी, आयोजक प्रधान हर्षित द्विवेदी,श्याम जी मिश्र, शैशव त्रिपाठी, राजेन्द्र त्रिपाठी, आनन्द अवस्थी, अनूप गुप्ता,आचिंत्य अवस्थी,मनोज शुक्ला,रोहित त्रिवेदी, गंगाशंकर दीक्षित, सन्दीप मिश्र आदि भक्तगण मौजूद रहे।